बच्चे हमारे भविष्य नहीं हमारा वर्तमान है- कुशाल
सिंह
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बाल अधिकार और शिक्षकों की भूमिका कार्यशाला मैं उपस्थित अतिथि |
बच्चे हमारे भविष्य नहीं हमारा वर्तमान है A
हमारी जनसंख्या में 40 प्रतिशत बच्चों की भागीदारी है A
बाल अधिकार को समझने से पहले यह समझना होगा की बच्चे हमारे देश के नागरिक है A
बाल अधिकार और शिक्षा एक दुसरे के पर्याय है और बिना बच्चों को शिक्षित किये हम
उनको उनका अधिकार नहीं दिलवा सकते हैंA
यह कहना है राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुश्री कुशाल सिंह का A पटना
के होटल पाटलिपुत्र अशोका में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग , बिहार बाल अधिकार
संरक्षण आयोग और यूनिसेफ के द्वारा बाल अधिकार और शिक्षकों की भूमिका विषय पर
आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष
सुश्री कुशाल सिंह ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा A
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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष, कुशाल सिंह |
संयुक्त
राष्ट्र बाल अधिकार समझौते पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा की UNCRC बाल अधिकार की बायबल है A
पहली बार संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते में 0-18 साल उम्र को बच्चों की
श्रेणी में रखा गया है A बच्चों के मस्तिस्क के पूर्ण विकास 15 से 22 वर्ष
तक होता है A UNCRC
को 20 नवंबर 1989 को यूनाइटेड नेशन की आम सभ में स्वीकृत किया गया A
भारत सरकार के द्वारा 1992 में स्वीकृत की गयी और आज विश्व के 190 देश इसे स्वीकार
कर चुके हैं A अपनी बात को आगे बढाते हुए सुश्री सिंह ने कहा की
माता –पिता के बाद बच्चों पर सबसे ज्यादा प्रभाव शिक्षकों का पड़ता है A
बच्चे शिक्षकों को अपना आदर्श मानते हैं और उनकी बातों को वह आंख मूंद कर मानते
हैं A ऐसे में जरूरी है की शिक्षकों को बच्चों से जुड़े
और बाल अधिकार के मुद्दों की विस्तृत जानकारी होनी चाहिए A इस अवसर पर बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग का
वेबसाइट को भी लांच किया गया A
यूनिसेफ बिहार के प्रमुख यामिनी मजुमदार ने इस अवसर
पर कहा की संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते के रजत जयंती वर्ष के रूप मैं आयोजन
किया जा रहा है Aकार्यशाला को संबोधित करते हुए
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कार्यशाला को संबोधित करते यूनिसेफ, बिहार प्रमुख यामिनी मजुमदार |
यूनिसेफ ने बिहार बाल नीति के निर्माण के लिए 9
प्रमंडल स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया है A
इसके साथ ही बच्चों के साथ भी दो कार्यशाला का आयोजन किया गया है ,जिसमे बड़ा
मुद्दा विद्यालयों मैं समानता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का निकल कर आया है A
इस लिहाज से बाल अधिकार मैं शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है A
डॉ. मजुमदार ने कहा जो बच्चे स्कूल से बहार हैं उनके शोषण और उत्पीड़न की संभावना
स्कूल जाने वाले बच्चों की तुलना मैं ज्यादा होती है A
आकड़े बताते हैं की जो लड़की 12 वीं तक शिक्षा प्राप्त करती है उनके बाल विवाह से
बचने और जल्दी मां बनने की संभावना कम होती हैA
अभी भी बाल अधिकार के प्राप्ति में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएं हैंAउन्होंने
विद्यालयों में सुरक्षित माहौल (जो बच्चों के लिए सौहाद्रपूर्ण और सुरक्षित स्थान) की
आवश्यकता पर बल देते हुए विश्वास जताया की
बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बिहार सरकार शिक्षकों को बाल अधिकार के बारे मैं
संवेदनशील करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी और यूनिसेफ पूरा सहयोग करेगी A
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बिहार बाल अधिकारसंरक्षण आयोग के वेबसाइट का उद्घाटन करते अतिथि |
इस अवसर पर बिहार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव श्री
अमरजीत सिन्हा , बिहार बाल संरक्षण आयोग की सचिव सुश्री डॉ. एन विजयलक्ष्मी , समाज
कल्याण विभाग के प्रधान सचिव रजित पुन्हानी, बिहार मानवाधिकार आयोग के आईजी निर्मल
कुमार आजाद , यूनिसेफ के बिहार प्रमुख यामनी मजूमदार समेत विभिन्न संस्थाओं के
प्रतिनिधि और पुरे राज्य के सरकारी और निजी विद्यालय से आये शिक्षकों के साथ- साथ
जिला शिक्षा पदाधिकारी और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी मौजूद थे A
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